बाबा बैद्यनाथ का अद्भुत श्रृंगार
बाबा बैद्यनाथ के दैनिक संध्याकालीन श्रृंगार पूजा में "पुष्प नाग मुकुट" का उपयोग किया जाता है। यह दृश्य अत्यंत मनोरम होता है। भक्तजन बाबा के इस रूप के दर्शन हेतु काफी उत्सुक रहते हैं। बाबा बैद्यनाथ का संध्याकालीन श्रृंगार वास्तव में अद्भुत है क्योंकि जिस पुष्प नाग मुकुट से बाबा का श्रृंगार किया जाता है उसे देवघर जेल के कैदी श्रद्धापूर्वक बनाते हैं। जेल का नाम स्मरण होते ही प्रायः हमारे मन मे असामाजिक व्यक्तियों की छवि उभरने लगती है। किंतु ये बाबा बैद्यनाथ की महिमा ही है कि यहाँ के कैदी भी बाबा के भक्ति में डूबे रहते हैं।
ये एक पुरानी परंपरा है जो अंग्रेजों के शासन-काल से ही चली आ रही है। अंग्रेज शासन-काल के दौरान देवघर कारागार में एक अंग्रेज जेलर नियुक्त था। उसके पुत्र की तबीयत अचानक ही बहुत बिगड़ गई। उसकी हालत देख देवघर के स्थानीय लोगों ने जेलर को बाबा मंदिर में "नाग मुकुट" चढ़ाने की सलाह दी। जेलर ने लोगों की बात मानते हुए ऐसा ही किया और अगले सुबह ही उसका पुत्र पूरी तरह से ठीक हो गया। उसी समय से इस परंपरा की शुरुआत हुई। केवल महाशिवरात्रि के दिन बाबा का श्रृंगार नही किया जाता,क्योंकि इस दिन बाबा का आठों पहर पूजन होता है। महाशिवरात्रि के दिन नाग पुष्प मुकुट को बाबा बासुकीनाथ के श्रृंगार हेतु भेज दिया जाता है।
प्रतिदिन देवघर जेल के कैदियों को बेलपत्र तथा फूल उपलब्ध करा दिया जाता है। कैदी उपवास रखकर जेल परिसर स्थित "बाबा कक्ष" में मुकुट का निर्माण करते हैं तथा जेल में ही स्थित शिवालय में मुकुट की पूजा-अर्चना करते हैं। शाम को यह मुकुट जेल से निकाल लिया जाता है तथा जेलकर्मियों के द्वारा " बोल बम" के नारे के साथ बाबा मंदिर भेज दिया जाता है।
देवघर कारागार के कैदी बाबा के इस पुण्य कार्य में सहभागिता दर्ज करने को उत्सुक रहते हैं। उनका मानना है कि इस कार्य में सहयोग करने से बाबा उनके समस्त पापों को क्षमा कर देंगे। बाबा उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करेंगे।
वास्तव में, बाबा बैद्यनाथ की महिमा निराली है।
★ बोल बम ★
बाबा की महिमा अपरम्पार है।
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