Tuesday, 15 August 2017

बाबा बैद्यनाथ लेते हैं भक्तों की परीक्षा


हिन्दू धर्म में भगवान शिव का सबसे बड़ा स्थान है। हम इन्हें कई नामों से पुकारते हैं। कोई इन्हें भोलेनाथ कहता है तो कोई देवों के देव महादेव कहता है। शिव एकमात्र ऐसे भगवान हैं जिनके लिंग की पूजा की जाती है और इन्हें केवल भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया मे पूजा जाता है। महादेव जिनकी गोद मे सृष्टि और प्रलय दोनों खेलते हैं। जो क्रोधी कुछ ऐसे हैं कि कोई भी उनके क्रोध का सामना नही कर सकता और भोले इतने हैं कि उन्हें भोले भंडारी कहा जाता है। अपने भक्तों पर सदैव इनकी कृपा बनी रहती है। शिव अपने भक्तों की परीक्षा भी लेते हैं। आइये, शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग में सबसे प्रमुख बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के विषय मे चर्चा करते हैं और जानने का प्रयास करते हैं कि आखिर कैसे बाबा बैद्यनाथ अपने भक्तों की परीक्षा लेते हैं।


सुल्तानगंज के योगी बाबा जिनका नाम अजगैबी था, बाबा बैद्यनाथ के अनन्य भक्त थे। वे प्रतिदिन सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा जल से बाबा बैद्यनाथ का जलाभिषेक करते थे। वे युवावस्था से वृद्धावस्था में प्रवेश कर गए, लेकिन उनकी बाबा के प्रति भक्ति कम न हो पाई। उनकी भक्ति देखकर बाबा बैद्यनाथ भी अत्यंत प्रसन्न थे। उन्होंने अपने भक्त की परीक्षा लेने की सोची। नित्य दिन की तरह एक दिन अजगैबी सुल्तानगंज से उत्तरवाहिनी गंगा जल लेकर बाबाधाम की ओर चल पड़े। वे मार्ग में ''बोल बम'' का उद्घोष करते हुए बढ़े जा रहे थे। उनके अंतर्मन में केवल बाबा बैद्यनाथ की ही छवि झलक रही थी। चलते-चलते अजगैबी सुईया पहाड़ पर पहुंच गए। सुईया पहाड़ पर एक दृश्य देखकर अजगैबी अचंभित हो गए। उन्होंने देखा कि एक गधा पहाड़ पर चढ़ गया है। धूप तथा गर्मी से परेशान वह गधा प्यासा लग रहा था। प्यास के मारे वह गधा लड़खड़ाने लगा। अजगैबी असमंजस में फँस चुके थे। वे सोचने लगे कि इस गधे की प्यास तो मैं शांत कर सकता हूँ लेकिन यह गंगाजल मैंने बाबा बैद्यनाथ के जलाभिषेक के लिए उठाया है। थोड़ी देर सोचने के बाद अजगैबी ने अपना निर्णय सुनिश्चित किया। उन्होंने बाबा बैद्यनाथ का स्मरण किया तथा उनसे जलाभिषेक न कर पाने हेतु क्षमा माँगी। अजगैबी ने गंगाजल के पात्र को गधे के मुंह से लगा दिया। गधे के मुख में गंगाजल प्रवेश करते ही बाबा बैद्यनाथ साक्षात प्रकट हो गए। अजगैबी की भक्ति से प्रसन्न होकर बाबा ने उसे गले लगा लिया और उन्हें यह वरदान दिया कि यह सृष्टि आज से तुम्हें बाबा अजगैबीनाथ के नाम से जानेगी। तुम मानवों के प्रेरणास्त्रोत बनोगे।


वास्तव में, यह कथा अत्यंत प्रेरणादायी है। हम इस कथा से सीख ले सकते हैं कि भक्ति के संग-संग मानवता को भी अपने हृदय में एक उचित स्थान देना चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो यह भी बाबा बैद्यनाथ की एक आराधना ही होगी। ऐसे भक्त सदैव बाबा बैद्यनाथ के प्रिय रहेंगे।

       ◆● बाबा बैद्यनाथ आपका कल्याण करें ●◆
                           ★ बोल बम ★

2 comments:

  1. जय बाबा बैजनाथ

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  2. Baba bole Ki mahima aprampar hai.............JAI BABA BHOLE DHANI

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